प्रिया देवांगन 'प्रियू'

बसन्त आगमन

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। देवी आराधना सांसारिक जीवन की नितांत आवश…

बहती है पुरवाई

माह फरवरी आतुर है मन, धरा प्रेम बरसाई, सुरभित गुलाब की पंखुड़ियाँ, शूल मध्य इठलाती। देख दृश्य पुलकित है कण-कण, कोयल गीत…

दर्द-ए-दिल

"शीला मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र हो रही है, और होगी भी क्यों नहीं; उनतीस बरस की जो हो गई हो। शादी की उम्र …

उसकी चिट्ठी

नींद नहीं है इन रातों में, करती छुपम–छुपाई है। चाँद रोशनी की मिली झलक , है खिड़की पर दुब…

समय के फेर

करू–करू लोगन के बोली, मोला अब्बड़ रोवाथे। कच्चा लकड़ी कस गुँगवावत, अंतस के पीरा सहिथँँव, …

मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ

मुझे पढ़ी जिसने इस जग में , जीवन तिमिर मिटाया है। नन्हें बालक हो या बूढ़े , ज्ञान –अमृत को पाया है।। अक्षर अक्ष…

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