अपने कर्तव्य के प्रति समर्पण से, महकता है शिक्षा का मंदिर। अपने कार्य और जिम्मेदारी का बोध, हो मन के अंदर। आत्म संतुष्टि ही है, सबसे बड़ा सम्मान।…
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