अम्बर होता, अचला होती, शिव की नगरी काशी होती| पर जान मृत्यु ना आएगी, कुढ़ता नर की विषता होती|| यदि मृत्यु न होती| संतोषी वृति विलीन होती, विद्रोही…
Read more »मेरे घर की मुँडेर पर, भोर एक गौरैया आती। प्याले में रक्खे दानों को, चूँ-चूँ करती खाती जाती॥ उड़ जाती वो बिना बताये, अंबर में जा कर छुप जाती। न जाने…
Read more »- १- धैर्य नही रख पाये यदि तो , शान्ति नही आ पाएगी। मुख से निकली सुर-वाणी भी , अर्थ हीन हो जाएगी…
Read more »नया वर्ष कुछ ऐसा आवै। सुंदर,सरस,सौम्य वाणी, मन को पुलकित कर जावै। रूप सदा निष्कपट रूप में, अपना रूप दिखावै॥ नया व…
Read more »दीपावली पर्व खुशिओं का , आओ इसे मनायें । घर की सभी मुंडीरों पर , माटी के दिये जलायें।। जगमग-जगमग हो सारा जग , प्रेम-लहर बन झूमें। प्रीति करें म…
Read more »शत-शत है नमन मेरा उनको , जो जेठ की गर्मी सहते हैं। घनघोर बरसते पानी में , भी कठिन परिश्रम करते हैं॥ अन्न को पैदा करते हैं वो , संपू…
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