प्रो० सत्येन्द्र मोहन सिंह

नव वर्ष

नव वर्ष तू करता नहीं, विमर्श| बारह महीने बाद, हर बार कटकटाती ठंडक में, आ जाता है| बहुतो को, बहुत ही भाता है| पर हर कोई …

यदि मृत्यु न होती

अम्बर होता, अचला होती, शिव की नगरी काशी होती| पर जान मृत्यु ना आएगी, कुढ़ता नर की विषता होती|| यदि मृत्यु न होती| सं…

गौरैया

मेरे घर की मुँडेर पर, भोर एक गौरैया आती। प्याले में रक्खे दानों को, चूँ-चूँ करती खाती जाती॥ उड़ जाती वो बिना बताये, अ…

धैर्य

- १-   धैर्य नही रख पाये यदि तो ,                    शान्ति नही आ पाएगी। मुख से निकली सुर-वाणी भी ,        …

मेरी अभिलाषा

नया वर्ष कुछ ऐसा आवै। सुंदर,सरस,सौम्य वाणी, मन को पुलकित कर जावै। रूप सदा निष्कपट रूप में, …

दीपावली

दीपावली पर्व खुशिओं का , आओ इसे मनायें । घर की सभी मुंडीरों पर , माटी के दिये जलायें।।   जगमग-जगमग हो सारा जग , प्र…

तू हटा दे

चाह को राह से तू हटा दे ।                                                                                         …

अन्नदाता

शत-शत है नमन मेरा उनको , जो जेठ की गर्मी सहते हैं। घनघोर बरसते पानी में , भी कठिन परिश्रम करते हैं॥   अन्…

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