मिंकी मोहिनी गुप्ता
विडम्बना बुढ़ापे की
तिनका-तिनका जोड़ कर बसेरा बनाया था... मेरे पति ने खून पसीना एक कर,इसे घर बनाया था... आज इसी घर से मेरे बेटों ने,पल…
तिनका-तिनका जोड़ कर बसेरा बनाया था... मेरे पति ने खून पसीना एक कर,इसे घर बनाया था... आज इसी घर से मेरे बेटों ने,पल…
ज़िन्दगी बता रही है मौत का आईना बवंडर सा सैलाब उमड़ रहा है तेरे कदमों की आहट पर बहक रहा है लेखिनी मदहोश हो कर कह रह…