रत्ना पाण्डेय मुझकों भी तुम दे दो पाँव अक्सर मैंने देखा है , सड़कों के किनारे अन्न फेंका हुआ , कुछ मिट्टी में था मिला और कुछ कचरे में था … द्वारा - अरुणिता जनवरी 09, 2023