मन करता है कि फिर से लौट जाऊँ वहीं जहाँ से चली थी कुछ साल पहले जहाँ काकी,दादी,बुआ ममेरे,फुफुरे,चचेरे खेत,खलिहान,गाँव-गिराव सभी जाने-पहचाने थे... यहाँ…
Read more »जयति जयति जय माँ भारती। कोटि नमन शत बार आरती।। सूरज करता अभिनन्दन, नित्य लाल लगाकर चन्दन। हिमपर्वत हिमराज हिमालय, औषधि भंडारण का आलय।। जयति जयति …
Read more »पुरानें घर में भारत की, पूरी पहचान मिला करती थी। ओ से ओखली क से कलम, स्याही की दावात मिला करती थी।। संस्कार की पूरी पाठशाला, घर में ही मिल जाती थ…
Read more »हे ! मातृभूमि शत बार है तुमको नमन हर बार है। हम वीर सदा बलिदानीं हैं तुमसे पहचान हमारी है।। पीछे न हटें बढ़ते जाएँ चट्टानों …
Read more »हुआ सवेरा मुदित दिशाएँ अंधकार भागा धरती से। सूरज आया स्वर्ण किरण ले रोली तिलक लगा माथे से।। प्रकृति का व्यवहार निभाया जड़ चेतन का …
Read more »उम्मीद !चिर काल से. सालों साल घिस रही है नारी न थकती है न हारती है न घबराती है बस निभाती है परम्पराओं को और से और बेहतर तरीक़े आजमाती …
Read more »
Social Plugin