साथ हम भी जमाने के चलते रहे वक्त का कुछ ना एहसास हमको हुआ जिंदगी का मुझे किसने पैगाम दी कौन देता रहा हर तरह बद्दुआ। किसके आमद से हम खौफ खाते रहे …
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