
विवेक दीक्षित
बँटवारा
मेरे घर की चार दीवारें, बटवारे में बटी हुई हैं, पर छत की अब भी है कोशिश, चौबारे न बटने पाएं, छत से ही विद्रोह कर रह…
मेरे घर की चार दीवारें, बटवारे में बटी हुई हैं, पर छत की अब भी है कोशिश, चौबारे न बटने पाएं, छत से ही विद्रोह कर रह…
स्वर्ग में ताले लटक रहे हैं, सारा जग अपराधी है! मानव भटक गया धरती पर, होड़ लगी है गिरने की । भौतिकता के पा…
भले कोशिश करें पर वक़्त-ए-दुश्वारी नहीं जाती । हमारा जिस्म जाता है ये बीमारी नहीं जाती । तुम्हारे सदके हमने दि…
न चौबारे, न नुक्कड़, न सफ़र में रहो! वक़्त का तकाज़ा है ज़रा घर में रहो! हवा कातिल है परिंदो तुम्…