क्यों हुआ निराश तू, सफर से ओ मुसाफिर | ये तो वो लम्हा है, जो यूं ही गुजर जायगा || मंज़िल जब होगी हांसिल , यकीनन | तुझे बस ये तेरा सफर ही याद आएगा ||…
Read more »कुछ सपने खरीद लिये मैंने l नींद बेचकर रातों की ll पूरा करने की, जिद में उन्हें l कुर्बानी दी जज्बातों की ll …
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