सचिन तिवारी

ख़ामोशी

रात भर ख़ामोशियों से बात मेरी होती है, तन्हाइयों से, गहरी मुलाक़ात मेरी होती है। इन वीरान लम्हों में, संग्राम दिल से चल…

सफर

क्यों हुआ निराश तू, सफर से ओ मुसाफिर | ये तो वो लम्हा है, जो यूं ही गुजर जायगा || मंज़िल जब होगी हांसिल , यकीनन | तुझे…

कुछ सपने खरीद लिये मैंने

कुछ सपने खरीद लिये मैंने l नींद बेचकर रातों की ll पूरा करने की, जिद में उन्हें l …

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