
सतीश कुमार 'बब्बा'
सब मरे से हैं
मैं भी मरूंगा, वह भी मरेगा, सब कोई मरेगा, कोई नहीं बचेगा! ऐसा सुनते - सुनते, कान पक गए, सुबह से रात हो गई, रात से सुबह …
मैं भी मरूंगा, वह भी मरेगा, सब कोई मरेगा, कोई नहीं बचेगा! ऐसा सुनते - सुनते, कान पक गए, सुबह से रात हो गई, रात से सुबह …
खुशनसीब हूं, बाप बना हूं, मैं बेटी का बाप हूं, देख उसे मैं खुश हूं! नन्हें पग वह चलती थी, घर - आंगन में खुशियां थी,…
वह निश्चेतन अवस्था में, बिना किसी हरकत के, आँख बंद किए सोई सी पड़ी थी। बालों में कयी दिनों से कंघी नहीं की गई थ…
यह जीवन है उड़ता पक्षी, न जाने किस डाल पर बैठेगा, उड़ेगा चुग्गा लेकर फिर, न जाने कहाँ शाम बिताएगा! कोई पंक्…
निर्मल आकाश, नीले आकाश में यदा - कदा बादल, और आषाढ़ का महीना। चलती पूर्वी हवा जो बदन का अंग - अंग पीड़ा देरहा…