
सुनीता सिंह
वही छोड़ आई
जिन गलियों में दोस्त छूटे थे, बचपन भी वहीं छोड़ आई थी। रातों में है बनावटी रोशनी, असली चांदनी तो वहीं छोड़ आई थ…
जिन गलियों में दोस्त छूटे थे, बचपन भी वहीं छोड़ आई थी। रातों में है बनावटी रोशनी, असली चांदनी तो वहीं छोड़ आई थ…