रत्ना पाण्डेय
बहुत पछताना होगा
आँखों के ख़्वाब अनूठे हैं, पर दुःख है आज भी वह अधूरे हैं, देख रही हैं आँखें स्वप्न बड़ा, किंतु सामने दिखता क्रूर ख…
आँखों के ख़्वाब अनूठे हैं, पर दुःख है आज भी वह अधूरे हैं, देख रही हैं आँखें स्वप्न बड़ा, किंतु सामने दिखता क्रूर ख…
एक राग सी तुम हो एक ख्वाब सी तुम हो सावन के बारिश की पहली बरसात सी तुम हो भीग जाऊं मैं तेरी चाहत में ऐसी ख्…
करी विदाई बाप ने, बेटी गई ससुराल। हीरों का अति कीमती हार गले में डाल। हार गले में डाल, बालेनो साथ में गाड़ी। टी…
आँसूओ का क्या है आँसू छलक जाते हैं कभी गम में, तो कभी खुशी में कभी रूकते नहीं तो कभी बह नहीं पाते हैं प…